फ्लॉप थीं… पर आज हर कोई इनका दीवाना है!

कुछ कहानियाँ वक़्त से आगे चलती हैं। जब रिलीज़ हुईं, तब न तालियाँ मिलीं, न टिकट खिड़की पर भीड़। लोगों ने नकार दिया। लेकिन… सालों बाद वही कहानियाँ बन गईं ‘कल्ट क्लासिक’। आइए, मिलते हैं उन 10 फिल्मों से जो पहले हारीं… फिर अमर हो गईं।

अंदाज़ अपना अपना (1994)

उस साल, सलमान और आमिर ने साथ फिल्म की — पर लोगों को समझ ही नहीं आया कि ये कॉमेडी है या ड्रामा!फिल्म फ्लॉप हो गई। आज? “तेजस्री! तेजस्री! तेजस्री!!”हर डायलॉग मीम बन गया। अंदाज़ ऐसा कि अब हर ज़ुबान पर चढ़ गया।

मक़बूल (2003)

इरफ़ान की आंखों में जो आग थी, तब शायद वो सिनेमा समझने के लिए काफी नहीं थी।शेक्सपियर का Macbeth जब देसी हुआ, तो ज़्यादातर दर्शक उलझ गए। लेकिन वक्त के साथ| मक़बूल’ बन गया इंडियन क्राइम सिनेमा का आईना।

स्वदेस (2004)

जब शाहरुख खान NASA में बैठे दिखे, लोग बोले – "ये SRK वाला रोमांस कहाँ गया?" फिल्म चली नहीं। पर धीरे-धीरे| हर NRI की दिल की धड़कन बन गई। और ‘यू ही चला चल’ जैसे गाने आत्मा में बस गए।

रॉकेट सिंह: सेल्समैन ऑफ द ईयर (2009)

रणबीर, बिना डांस, बिना हीरोपंती के एक सिख सेल्समैन बना। लोगों ने कहा — “ये फिल्म नहीं चल पाएगी।” और सच में नहीं चली। लेकिन अब? Entrepreneurship की सबसे प्यारी गाइड बन चुकी है।

तलाश (2012)

एक पुलिस अफ़सर, एक भूत और एक अधूरी मां… आमिर खान की यह सस्पेंस थ्रिलर दर्शकों की उम्मीदों से अलग निकली। लेकिन समय ने इसे नए सिरे से देखा। और ‘तलाश’ बन गई एक इमोशनल रहस्य, जो दिल छूती है।

उड़ान (2010)

जब रंजन का बेटा कवि बनना चाहता है… तो उसका बाप उसे ‘बेवकूफ़’ कहता है। तब लोगों को यह सिर्फ “स्लो फिल्म” लगी। आज? हर टीनएजर, हर क्रिएटिव आत्मा इसे अपना सच मानती है।

द लंचबॉक्स (2013)

ना हीरो-हिरोइन मिले, ना कोई क्लाइमैक्स आया… बस चुपचाप एक Tiffin से इश्क़ पनप गया। लोग बोले — “ये क्या है?” पर वक्त ने दिखाया कि इरफान की खामोशी कभी-कभी सबसे ऊंची आवाज़ होती है।

तमाशा (2015)

एक लड़का… जो दुनिया के लिए जीता है, पर खुद क्या चाहता है, ये भूल जाता है। इम्तियाज़ अली की ये कहानी लोगों को जटिल लगी। लेकिन धीरे-धीरे ‘तू कोई और है’ गूंजने लगा हर उस इंसान के अंदर, जो खोया हुआ था।

अंधाधुन (2018)

एक अंधा पियानो प्लेयर… या शायद नहीं? एक मर्डर, कुछ झूठ और बहुत सारा मज़ा। पहले हफ्ते में तो लोग समझ नहीं पाए। फिर Word of Mouth ने कमाल कर दिया। आज ये फिल्म सस्पेंस-कॉमेडी का गोल्ड स्टैंडर्ड है।