चेनई से मदुरै की यात्रा के दौरान आई मौत, फिल्म जगत में शोक की लहर
चेन्नई, 2 जून 2025: प्रसिद्ध तमिल फिल्म निर्देशक और लेखक विक्रम सुगुमारन का 45 वर्ष की आयु में निधन हो गया। बताया जा रहा है कि वह चेन्नई से मदुरै की यात्रा के दौरान बस में सफर कर रहे थे, जब उन्हें अचानक कार्डियक अरेस्ट (हृदयगति रुकना) हुआ। उन्हें तुरंत चिकित्सा सहायता पहुंचाई गई, लेकिन डॉक्टर उन्हें बचा नहीं सके। उनके असामयिक निधन से फिल्म उद्योग और उनके चाहने वालों में गहरा शोक व्याप्त है।
जन्म और शुरुआती संघर्ष
विक्रम सुगुमारन का जन्म तमिलनाडु के एक सामान्य मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ था। उन्हें बचपन से ही फिल्मों और कहानियों में रुचि थी। उनके परिवार की आर्थिक स्थिति अधिक सुदृढ़ नहीं थी, लेकिन उन्होंने अपने सपनों को कभी मरने नहीं दिया। कॉलेज के दिनों से ही वह थिएटर और स्क्रिप्ट लेखन में सक्रिय हो गए थे।
चेन्नई आने के बाद उन्होंने कई साल तक संघर्ष किया। उन्होंने सहायक निर्देशक के रूप में फिल्म इंडस्ट्री में कदम रखा और विभिन्न प्रोजेक्ट्स पर काम करते हुए अनुभव प्राप्त किया। उनकी मेहनत और लगन ने अंततः उन्हें एक स्वतंत्र निर्देशक के रूप में स्थापित किया।
फिल्मी करियर
विक्रम सुगुमारन को तमिल सिनेमा में उनकी दमदार लेखनी और यथार्थवादी निर्देशन के लिए जाना जाता था। उनकी पहली फिल्म “मधायानई कोट्टम” (2014) को न केवल आलोचकों से सराहना मिली, बल्कि दर्शकों ने भी इसे खूब पसंद किया। इस फिल्म ने तमिल सिनेमा में एक नया दृष्टिकोण प्रस्तुत किया, जो ग्रामीण राजनीति, पारिवारिक संघर्ष और सामाजिक मुद्दों को बेहद सजीवता से चित्रित करता है।
इसके बाद उन्होंने “कसथान काडवुलादा” और “पुरंबोक्कु” जैसी फिल्मों में लेखक और निर्देशक के रूप में काम किया। उनकी फिल्में आमतौर पर सामाजिक मुद्दों, ग्रामीण जीवन और इंसानी भावनाओं की गहराई को दर्शाती थीं। उनके कार्यों में यथार्थ, संवेदनशीलता और सामाजिक चेतना की झलक मिलती थी, जिसने उन्हें एक विशिष्ट पहचान दिलाई।
फिल्म जगत में शोक की लहर
विक्रम सुगुमारन की मृत्यु की खबर से तमिल फिल्म इंडस्ट्री शोकाकुल है। कई फिल्मी सितारों और निर्देशकों ने सोशल मीडिया के माध्यम से अपनी संवेदनाएं व्यक्त कीं। निर्देशक वेट्रीमारन ने कहा, “विक्रम एक सच्चे फिल्मकार थे, जिनकी दृष्टि और सोच बेहद अलग थी। उनका जाना तमिल सिनेमा के लिए एक बहुत बड़ी क्षति है।”
अभिनेता विजय सेतुपति, जिनके साथ विक्रम ने कई बार सहयोग किया, ने कहा, “मुझे विश्वास नहीं हो रहा कि विक्रम अब हमारे बीच नहीं हैं। वह न केवल एक बेहतरीन निर्देशक थे, बल्कि एक संवेदनशील और आत्मीय इंसान भी थे।”
एक अधूरी कहानी…
विक्रम सुगुमारन एक नई फिल्म की तैयारी में लगे हुए थे, जो ग्रामीण पृष्ठभूमि पर आधारित थी और एक सामाजिक संदेश के साथ आने वाली थी। यह परियोजना अब अधूरी रह गई है। उनके निधन से फिल्म जगत ने एक प्रतिभाशाली रचनात्मक व्यक्तित्व को खो दिया है।
उनका जीवन इस बात का प्रमाण है कि अगर जुनून और मेहनत हो, तो कोई भी अपनी मंजिल पा सकता है। तमिल सिनेमा में उनका योगदान हमेशा याद रखा जाएगा।
ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें।