Kayएक ऐसे कलाकार की राह जो दुनिया की सुनने को तैयार नहीं था…
के-के मेनन, जिनका असली नाम कृष्ण कुमार मेनन है, ने कभी सोचा भी नहीं था कि उनका नाम बड़े पर्दे पर चमकेगा। थिएटर, टीवी और छोटे बजट की फिल्मों का सफर तय करके वो पहुंचे ‘Sarkar’ और ‘Haider’ जैसे शिखर तक । मगर उस राह पर, जब ज़माना बड़े सितारों की लाइस्ट में उलझा था, उनका मन टूट गया था |
पहला मोड़: जब उम्मीदों पर टूटा नज़ारा
90 और 2000 के दशक की शुरुआत में, फिल्मी दुनिया में कंधा देने वालों की कोई कमी नहीं थी। जिसके पास अच्छे रोल की तलाश थी, उसकी कोई सुनने को तैयार नहीं था। इसके बीच, मेनन खुद ही कहते हैं कि:
“मैं उस वक्त (90s में) इंडस्ट्री में फिट नहीं बैठ पा रहा था। साधारण भूमिकाओं के अलावा कुछ देना मुश्किल था। मैं एक्टिंग छोड़ने वाले था।”
उनके संघर्ष तब और गहरा हुआ जब कुछ फिल्मों का निर्माण देरी से रिलीज़ हुआ या रुक गया—जैसे ‘Paanch’, ‘Hazaaron Khwaishein Aisi’, और ‘Black Friday’ । एक समय वो बिल्कुल निराश हो गए थे…
दूसरा मोड़: जब रास्ते बदल गए
लेकिन तब आयी फिल्म ‘Satya’, जो अनजाने में उन्होंने नहीं बनाई थी लेकिन उन्होंने उसके असर को महसूस किया। इसकी कामयाबी से उन्हें भरोसा मिला कि अब गहराई वाले रोल किस्मत बदल सकते हैं ।
और फिर आया उनका असली ब्रेक—Sarkar (2005)। इस फिल्म में उनके अभिनय को बड़ों ने सराहा, और लोग पहचानने लगे । मेनन खुद बताते हैं:
“Sarkar से पहले मैं सिर्फ कहता था—‘मैं एक्टर हूँ’। लेकिन उसके बाद यह ज़रूरत ही ख़त्म हो गई।”
संघर्ष से ज़िद्दी बनें ‘Ziddi’ कलाकार
नीचे नहीं झुकने की उनकी ठान, उस वक्त काम आई जब OTT प्लेटफॉर्म्स आए। उन्होंने खुद कहा:
“OTT को स्टार नहीं, ऐक्टर्स चाहिए। हम ज़िद्दी हैं—Manoj Bajpayee और मैं। टिके रहे तो मौके मिले”।
इसका सबसे बड़ा फायदा उन्हें ‘Special Ops’, ‘The Railway Men’, ‘Farzi’, और हाल में ‘Bambai Meri Jaan’ जैसी वेब-सीरीज़ से मिला |
आज: एक कलाकार की आत्मा समृद्ध
आज के-के मेनन केवल अभिनेता नहीं, बल्कि इंटरव्यूज़ में खुद को ‘पैशन पर निकले ज़िद्दी कलाकार’ बताते हैं । उनका कहना है—
“जिस दिन काम में मजा नहीं आएगा, मैं एक्टिंग छोड़ दूंगा” । के-के मेनन की कहानी युवा कलाकारों को प्रेरित करती है—मुश्किल समय में भी टिके रहना, अपने हुनर पर विश्वास रखना, और सही अवसर का इंतज़ार करना ही सफलता की बुनियाद होती है।