Second hand car: भारत में तेजी से बढ़ती ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री के साथ अब लोगों का रुझान Second Hand Car खरीदना की ओर बढ़ रहा है। खासकर पहली बार कार खरीदने वाले या बजट में गाड़ी लेने वाले ग्राहक अब नई कार के मुकाबले इस्तेमाल की गई कारों में ज्यादा रुचि दिखा रहे हैं।
लेकिन क्या सेकंड हैंड कार खरीदना वाकई फायदे का सौदा है? 2025 में बदलती टेक्नोलॉजी, गवर्नमेंट नीतियों और नए-पुराने कारों के मार्केट को देखते हुए यह सवाल और भी महत्वपूर्ण हो जाता है।
इस लेख में हम आपको सेकंड हैंड कार से जुड़े हर पहलू को विस्तार से बताएंगे – फायदे, नुकसान, क्या जांचें, किन डॉक्युमेंट्स का ध्यान रखें और कौन सी जगह से खरीदना सबसे बेहतर होगा।
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सेकंड हैंड कार खरीदने के फायदे – क्या है असली बचत?
सेकंड हैंड कार खरीदना कई मामलों में समझदारी भरा कदम हो सकता है, खासकर तब जब आपका बजट सीमित हो। आइए जानते हैं इसके कुछ प्रमुख फायदे:
1. कम कीमत में बेहतर मॉडल:
नई कार खरीदते समय आपको बजट के कारण एंट्री-लेवल मॉडल तक ही सीमित रहना पड़ता है। वहीं, सेकंड हैंड कार में आप उसी बजट में एक या दो सेगमेंट ऊपर की कार खरीद सकते हैं – जैसे हैचबैक के बजट में कॉम्पैक्ट SUV।
उदाहरण: अगर आपके पास ₹5 लाख का बजट है, तो आप नई Alto खरीद सकते हैं, लेकिन उसी दाम में 3 साल पुरानी Swift या i20 भी मिल सकती है।
2. कम डिप्रीसिएशन लॉस:
नई कार लेते ही उसकी वैल्यू पहले साल में 15–20% तक घट जाती है। लेकिन सेकंड हैंड कार पहले ही अपना डिप्रीसिएशन झेल चुकी होती है। ऐसे में जब आप उसे बेचते हैं, तो नुकसान कम होता है।
3. लो इन्श्योरेंस प्रीमियम:
पुरानी कारों पर इन्श्योरेंस की कीमतें कम होती हैं। थर्ड पार्टी और कंप्रीहेंसिव पॉलिसी दोनों ही नए मॉडल के मुकाबले सस्ते पड़ते हैं।
4. कम RTO टैक्स और रजिस्ट्रेशन चार्ज:
नई गाड़ियों पर RTO रजिस्ट्रेशन फीस, ग्रीन टैक्स आदि अतिरिक्त खर्च होते हैं। सेकंड हैंड कार में ये खर्च पहले ही निपट चुके होते हैं।
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सेकंड हैंड कार खरीदने के नुकसान – क्या बरतें सावधानी?
जहां Used Cars फायदे का सौदा हो सकती हैं, वहीं कुछ सावधानियां न बरती जाएं तो यह घाटे का सौदा भी बन सकता है।
1. गाड़ी की हालत का अंदाज़ा लगाना मुश्किल:
पुरानी कार की बाहरी चमक के पीछे क्या उसका इंजन या सस्पेंशन ठीक है, ये हर कोई नहीं जान पाता। गाड़ी चलाने में दिक्कत, इंजन की घिसावट या सर्विस रिकॉर्ड की कमी बाद में बड़ा खर्च करा सकती है।
2. वॉरंटी और सर्विस पैकेज का अभाव:
नई कारों पर कंपनी की वॉरंटी, रोड साइड असिस्टेंस और फ्री सर्विस पैकेज मिलते हैं। सेकंड हैंड कार में यह फायदे या तो खत्म हो जाते हैं या लिमिटेड होते हैं।
3. फाइनेंस और लोन की सीमित सुविधा:
हालांकि आजकल Second Hand Car लोन मिलना आसान हो गया है, लेकिन इसमें ब्याज दर ज्यादा होती है और प्रोसेस थोड़ी जटिल भी हो सकती है।
4. रीसेल वैल्यू और मार्केट डिमांड:
कुछ मॉडल्स की रीसेल वैल्यू अच्छी होती है, लेकिन कई कारें ऐसे भी होती हैं जिन्हें बेचना मुश्किल होता है – जैसे बंद हो चुके मॉडल या कम फेमस ब्रांड्स।
सेकंड हैंड कार खरीदते समय किन बातों का रखें ध्यान?
Second Hand Car खरीदना एक समझदारी भरा फैसला तब बनता है, जब आप सही तरीके से जांच और प्रक्रिया अपनाएं:
1. फुल व्हीकल इंस्पेक्शन कराएं:
किसी अनुभवी मैकेनिक से गाड़ी की पूरी जांच कराएं – इंजन, सस्पेंशन, ब्रेक, टायर, क्लच, बैटरी और इलेक्ट्रॉनिक्स सब कुछ अच्छे से चेक करें।
2. सर्विस रिकॉर्ड देखें:
क्या गाड़ी समय-समय पर सर्विस हुई है? क्या ऑथराइज्ड सर्विस सेंटर से मेंटेनेंस हुआ है? अगर सर्विस बुक और बिल उपलब्ध हों तो भरोसा करना आसान हो जाता है।
3. ओडोमीटर रीडिंग की सच्चाई जानें:
कई बार डीलर या सेलर ओडोमीटर टेम्पर कर देते हैं। 5 साल पुरानी कार अगर केवल 20,000 किमी चली हो तो शक करना स्वाभाविक है।
4. RC और डॉक्युमेंट्स वेरीफाई करें:
- रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट (RC)
- बीमा पॉलिसी (Active है या नहीं?)
- Pollution Certificate
- NOC (अगर गाड़ी दूसरे राज्य से ली गई हो)
- Hypothecation हटाया गया है या नहीं (अगर पहले लोन पर थी)