ऋद्धिमान साहा ने किया क्रिकेट से संन्यास का ऐलान, 17 साल के करियर का हुआ समापन

Wridhdhiman Saha Retirement : भारतीय क्रिकेट के दिग्गज विकेटकीपर बल्लेबाज ऋद्धिमान साहा ने अपने 17 साल के शानदार क्रिकेट करियर को अलविदा कहने का निर्णय लिया है। साहा ने अपने संन्यास की घोषणा करते हुए कहा कि मौजूदा रणजी ट्रॉफी सीजन के समाप्त होते ही वह क्रिकेट से संन्यास ले लेंगे। साहा ने इस फैसले से अपने फैंस और भारतीय क्रिकेट को झकझोर कर रख दिया है। लंबे समय तक भारतीय टीम के लिए खेल चुके साहा को उनकी दमदार विकेटकीपिंग और सधे हुए बल्लेबाजी के लिए जाना जाता है।

घरेलू क्रिकेट में साहा का योगदान

ऋद्धिमान साहा ने घरेलू क्रिकेट में अपना प्रमुख समय बंगाल के लिए खेलते हुए बिताया, जहां उन्होंने करीब 15 साल तक अपनी टीम का प्रतिनिधित्व किया। इसके बाद, अपने करियर के अंतिम दौर में उन्होंने त्रिपुरा की तरफ से भी खेला। घरेलू क्रिकेट में उनकी उपस्थिति ने न केवल उनकी टीमों को मजबूती दी बल्कि नए खिलाड़ियों के लिए एक आदर्श और प्रेरणा स्रोत भी बने। उनकी विकेटकीपिंग और बल्लेबाजी दोनों ही कौशल ने घरेलू क्रिकेट में कई बार उनकी टीम को मुश्किल समय से उबारा।

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2010 में किया इंटरनेशनल डेब्यू

ऋद्धिमान साहा को 2010 में पहली बार भारतीय टीम के लिए खेलने का मौका मिला। उस समय, भारतीय टीम में विकेटकीपिंग की जिम्मेदारी महेंद्र सिंह धोनी के पास थी, लेकिन साहा ने अपनी पहली ही सीरीज में अपनी क्षमता का प्रदर्शन किया और भविष्य के लिए एक महत्वपूर्ण विकेटकीपर साबित हुए। इंटरनेशनल करियर में उन्होंने 40 टेस्ट और 9 वनडे मैच खेले। टेस्ट क्रिकेट में साहा ने 56 पारियों में 29.41 की औसत से 1353 रन बनाए, जिसमें 3 शतक और 6 अर्धशतक शामिल हैं। वहीं, वनडे में 5 पारियों में 13.66 की औसत से 41 रन बनाए।

टेस्ट क्रिकेट में साहा की भूमिका

टेस्ट क्रिकेट में साहा की भूमिका हमेशा से एक महत्वपूर्ण रही है। उनकी विकेटकीपिंग कौशल और तकनीक की सराहना पूर्व क्रिकेटरों और विशेषज्ञों ने भी की है। साहा ने कई बार टीम इंडिया के लिए कठिन परिस्थितियों में शानदार कैच पकड़े और स्टंपिंग की। हालांकि, उनकी बल्लेबाजी में निरंतरता की कमी रही, जिसके कारण वह टीम में अपनी जगह स्थायी रूप से नहीं बना पाए। मगर उनके विकेटकीपिंग कौशल को हमेशा से ही भारतीय टीम का एक मजबूत पक्ष माना जाता रहा है।

घरेलू क्रिकेट में शानदार प्रदर्शन

इंटरनेशनल स्तर पर भले ही साहा अपने बल्ले से कोई बड़ा करिश्मा नहीं दिखा पाए हों, लेकिन घरेलू क्रिकेट में उनका प्रदर्शन बेहद उम्दा रहा। फर्स्ट क्लास क्रिकेट में उन्होंने 138 मैचों की 203 पारियों में 41.74 की औसत से 7013 रन बनाए। लिस्ट ए क्रिकेट में साहा ने 116 मैचों की 103 पारियों में 40.42 की औसत से 3072 रन जुटाए, जबकि टी20 में 255 मैचों की 227 पारियों में 24.24 की औसत से 4655 रन बनाए। घरेलू क्रिकेट में उनके रनों की गूंज हमेशा से ही उनकी प्रतिभा को दर्शाती रही है।

साहा की अंतिम फेसबुक पोस्ट और उनके विचार

संन्यास का ऐलान करते वक्त साहा ने फैंस को धन्यवाद कहा और अपनी जिंदगी के अगले अध्याय की ओर ध्यान देने की बात कही। अपनी अंतिम फेसबुक पोस्ट में उन्होंने क्रिकेट के प्रति अपनी भावनाओं और आने वाले समय में नई संभावनाओं को तलाशने का संकेत दिया। साहा के अनुसार, क्रिकेट ने उन्हें बहुत कुछ सिखाया और उनका करियर भारतीय क्रिकेट का एक महत्वपूर्ण अध्याय बना रहेगा।

साहा का योगदान और विरासत

ऋद्धिमान साहा का योगदान भारतीय क्रिकेट में हमेशा याद रखा जाएगा। उनकी विकेटकीपिंग क्षमता और कड़ी मेहनत ने उन्हें कई युवाओं के लिए एक प्रेरणा का स्तंभ बना दिया। भारतीय क्रिकेट ने एक सच्चा प्रतिभावान विकेटकीपर खो दिया है। साहा के संन्यास के बाद, उनकी कमी को भरना आसान नहीं होगा।

ऋद्धिमान साहा ने भारतीय क्रिकेट को जो योगदान दिया, वह आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बना रहेगा। उनके फैंस उन्हें हमेशा एक जुझारू खिलाड़ी के रूप में याद करेंगे, जिन्होंने कभी हार नहीं मानी और मैदान पर अपने हर पल का पूरी शिद्दत से आनंद लिया।